16 दिसंबर से खरमास का आरंभ, लग जाएगा मांगलिक कार्यक्रमों पर विराम
खरमास 2020
इस वर्ष
खरमास 16 दिसंबर 2020 की प्रातः
6 बजकर 49 मिनट से लग रहा है जो कि
14 जनवरी 2021 तक रहेगा इन दिनों में मांगलिक कार्यक्रमों में विराम लग जाएगा, देव
गुरु वृहस्पति की राशियों
(धनु व मीन) में जब ग्रहराज
सूर्य प्रवेश करते हैं तो
खरमास दोष लगता है जिससे इन मासों में शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं।
दक्षिणायण का अंतिम मास
खरमास के नाम से जाना जाता है
वर्ष 2020 में
16 दिसंबर बुधवार के दिन प्रातः
6 बजकर 49 मिनट पर सूर्य वृश्चिक राशि को छोड़कर धनु राशि में प्रवेश कर जाएंगे तथा
14 जनवरी 2021 को सूर्य मकर राशि में प्रविष्ट होंगे जिस कारण यह खरमास
16 दिसंबर 2020 से 14 जनवरी 2021 तक रहेगा, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पृथ्वी पर जीवनदायनी शक्ति के अक्षयस्त्रोत सूर्य हैं अखिल काल की गणना इन्ही से होती है दिन व रात्रि के प्रवर्तक भी सूर्य ही हैं इन्हें विश्व की आत्मा कहा गया है, सूर्य की महिमा का उल्लेख वेद, संहिता, शास्त्र, रामायण, महाभारत, उपनिषद, पुराण, आर्षग्रन्थ करते हैं, सूर्य की उपासना प्रत्येक प्राणी को करनी चाहिए क्योंकि आराधना के आराध्यस्थ दिव्य गुणों का संक्रमण आराधक में भी अवश्य होता है, आस्तिकों में लोक कल्याण की भावना रूपी गुण सर्वाधिक होता है, सूर्य से ही दिन, रात, लग्न, ऋतु, अयन, वर्षा तथा युगादि निर्धारित होते हैं।
गुरु को भी ज्योतिष शास्त्र में मंत्री, पुरोहित, ज्ञान एवं सुख का कारक माना गया है यह पुत्र, पति, पत्नी, संतान, धन एवं धान्य का कारक है सूर्य की राशि में गुरु हो या गुरु की राशि में सूर्य गोचर कर रहे हों उस
"गुर्वादित्य" काल को वर्जित माना गया है।
श्लोक:-
रवि क्षेत्र गते जीवे, जीवक्षेत्र गते रवौ।
गुर्वादित्य: स विज्ञेयः गर्हित: सर्वकर्मसु।।
वर्जयेत्सर्वकार्याणि व्रतस्वत्यनादिकम्।
सिंह राशि में गुरु के होने पर
सिंहस्थ दोष माना जाता है जो विवाह आदि कार्यों में वर्जित होता है, जब सूर्य गुरु की राशियों में होता है तब उसके प्रताप से गुरु की राशि धनु व मीन निर्बल हो जाती है जिससे शुभ कार्य निष्फल या अपूर्ण रह जाता है।
◆ 16 दिसंबर की प्रातः 6 बजकर 49 मिनट पर धनु राशि में प्रविष्ट होंगे भगवान भास्कर।
◆ 14 जनवरी 2021 तक रहेगा धनु सक्रांति जनित खरमास दोष।
आध्यात्मिक कार्य जारी मांगलिक स्थगित:-
सूर्य हर मास राशि परिवर्तन करते हैं जब यह गुरु की राशि में प्रविष्ट होते हैं तो इसे खरमास कहते हैं खरमास में आध्यात्मिक कार्य तो किया जा सकता है किंतु मांगलिक कार्यक्रम स्थगित रहते हैं, मीन राशि वाले खरमास में ब्राह्मणों का उपनयन संस्कार किया जा सकता है।
खरमास दोष से 16 से मांगलिक कार्यों पर रोक:-
16 से विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर धार्मिक प्रतिबंध लग जाएगा, भगवान भास्कर के वृश्चिक से धनु राशि में जाने के साथ यह शुरू होगा, धर्मशास्त्रीय व्यवस्था में जब गुरु की राशि में सूर्य और सूर्य की राशि में गुरु जाते हैं तो गुर्वादित्य नामक दोष होता है, खरमास में विवाह, गृहारंभ, गृह प्रवेश, नव प्रतिष्ठान व व्यवसाय आरंभ, वधू प्रवेश, द्विरागमन, मुंडन, कर्णवेध, नवनिर्माण समाप्ति तक प्रतिबंधित रहते हैं।
शासक वर्ग के लिए कष्टकारक:-
सूर्य धनु राशि में 16 दिसंबर को प्रातः 6 बजकर 49 मिनट पर प्रवेश कर रहे हैं इस दिन से 14 जनवरी 2021 तक खरमास रहेगा, इस अवधि में मांगलिक कार्य निषेध रहते हैं संहिता ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास में धनु संक्रांति होने से यह दुर्भिक्ष कारक है दिन के प्रथम भाग में धनु सक्रांति होने के कारण यह शासक वर्ग के लिए कष्टकारक है बाल व करण में सक्रांति होने के कारण यह बैठे हुए सूर्य की सक्रांति है जो सामान्य फलकारक है।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
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