गंगा दशहरा 20 जून 2021 जानिए पौराणिक कथा, शुभ मुहर्त व पूजन विधि
गंगा दशहरा 2021 जानिए पौराणिक कथा, शुभ मुहर्त व पूजन विधि
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन माँ गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था जिस कारण से इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है इस दिन भगवान शिव व विष्णु जी के साथ माँ गंगा की पूजा की जाती है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा नदी में स्नान कर भगवान शिव, विष्णु व माँ गंगा की पूजा करने करने से व्यक्तियोबक सभी पापों का नाश हो जाता है इस दिन गंगा स्नान के पश्चात दान करने का भी विधान है जिससे व्यक्तियों के सभी पाप धुल जाते हैं व व्यक्ति निर्मल हो जाता है।
गंगा दशहरा से जुड़ी पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऋषि भागीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति (जीवन चक्र से मुक्ति) हेतु माँ गंगा की घंघोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर माँ गंगा ने धरती पर अवतरण का उन्हें वरदान तो दिया था किंतु उनके मन में यह शंका थी कि उनके प्रचंड वेग से धरती व धरती पर रहने वाले ऋषि, मुनि, मनुष्य, जीव, पेड़-पौधे सभी को हानि होगी जिससे सब असमय ही काल के मुख में समा जाएंगे इसलिए माँ गंगा ने भागीरथ को शिव जी की तपस्या करने व् उनसे अपने अवतार में सहयोग करने को कहा था जिसके बाद पुनः ऋषि भागीरथ ने शिव जी की तपस्या की थी और शिव जी ने ऋषि भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ गंगा को अपनी जटाओ में समाहित कर एक निश्चित वेग से उनको धरती पर अवतरण में सहयोग किया था, धर्म शास्त्रों के अनुसार उस दिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी जिस कारण से प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है।
गंगा दशहरा शुभ मुहर्त
"ऋषिकेश पंचांग (काशी) अनुसार" १९ जून को दिन के ०२:१० से आरंभ होकर २० जून को दिन के १२:०२ तक रहेगी साथ ही २० जून को चित्रा नक्षत्र दिन के ०३:२७ तक व परिघ योग सायं ०६:२० तक रहेगा अतः गंगा दशहरा पूजन शुभ मुहर्त दिन में ०९:२३ से ११:३६ तक स्थिर लग्न सिंह में करना शुभ रहेगा धर्म शास्त्रों के अनुसार माँ गंगा का अवतरण वृषभ लग्न में हुआ था जो की मध्य रात्रि ०२:५२ से ०४:४८ तक रहेगा अतः इस समय काल में भी पूजन किया जाना शुभ रहेगा।
गंगा दशहरा पूजन विधि
प्रातःकाल नित्य क्रिया से निवृत्त होकर गंगा नदी में श्रद्धा पूर्वक स्नान करना चाहिए (यदि आपके शहर में गंगा नदी न बहती हो तो किसी भी नदी में स्नान कर सकते हैं और यदि आपके पास गंगा जल हो तो उसे आप नहाने के पानी में मिलाकर स्नान कर सकते हैं) तत्पश्चात शिव जी व् विष्णु जी की पंचोपचार पूजन करना चाहिए व माँ गंगा की स्तुति करनी चाहिए और पूजन पश्चात् किसी भी गरीब को श्रद्धानुसार वस्त्र, काली उर्द, चावल, आटा, घी व मिष्ठान इत्यादि कुछ दक्षिणा के साथ दान करना चाहिए।
।।ॐ नम: शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:।।
।।ॐ नमो भगवते ऐं ह्रीं श्रीं हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा।।
गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
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