गणेश चतुर्थी 22 अगस्त 2020: जानें पूजन विधि व शुभ मुहर्त
गणेश चतुर्थी
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है इस बार गणेश चतुर्थी पर ग्रह नक्षत्रों एक उत्तम संयोग बन रहा है जिसमें गणेश चतुर्थी के दिन सूर्य और मंगल 126 वर्ष बाद एक साथ स्वराशि रहेंगे धर्मशास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन ही विघ्नों का नाश करने वाले और ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था इस बार 21 अगस्त की रात्रि के 11 बजकर 2 मिनट पर चतुर्थी तिथि लगेगी व 22 अगस्त की शाम 7 बजकर 57 मिनट तक चतुर्थी रहेगी अतः 22 अगस्त को सूर्योदय के समय चतुर्थी तिथि मिलने से इस बार गणेश चतुर्थी पर्व 22 अगस्त को मनाया जाएगा।
गणेश महोत्सव पूजन
शिवमहापुराण के अनुसार माता पार्वती जी जब स्नान के लिए गयी थीं तो उन्होंने गणेश जी को द्वारपाल नियुक्त करते हुए कहा था कि जब तक मैं बाहर न आ जायूँ तब तक कोई भी अंदर प्रवेश न करे ऐसा सुनकर गणेश जी ने माता पार्वती जी को वचन दिया कि वह किसी भी परिस्थिति में उनके बाहर आने तक किसी को अंदर प्रवेश नही करने देंगे ऐसा सुनकर माता पार्वती जी अंदर कंदरा में स्नान करने चली गईं जब शिव जी अपनी समाधि पूर्ण कर के कैलाश वापस आए तो उन्होंने अंदर कंदरा में जाने का प्रयास किया किंतु गणेश जी ने अपनी माता को दिए वचन के कारण उनको अंदर जाने से मना कर दिया और बार-बार शिव जी, नन्दी व अन्य गणों द्वारा समझाने पर भी नही माने इस बात से क्रोधित होकर शिव जी ने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सर धर से अलग कर दिया माता पार्वती जब कंदरा के बाहर आईं तो उन्हें अपने पुत्र को मृत देखकर बड़ा कष्ट हुआ तथा क्रोध में आकर उन्होंने सृष्टि का संहार करना आरंभ कर दिया जब शिव जी को उनको मनाने का प्रयास किया तो उन्होंने अपने पुत्र को पुनः जीवित करने की इच्छा प्रकट हुई किंतु शिव जी के त्रिशूल से जिसका अंत हो उसे पुनः उसी रूप में जीवन नही दिया जा सकता था अतः शिव जी के गज का शीश गणेश जी के धर पर स्थित कर उन्हें पुनः जीवन प्रदान किया और उन्हें गजानन नाम से संबोधित किया जिस कारण से गणेश जी का नाम गजानन पड़ा।
गणेश जी हैं प्रथम पूज्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन जब सभी देवताओं में प्रथम पूज्य घोषित करने की इच्छा उत्पन्न हुई तब शिव जी ने यह शर्त रखी कि जो भी देव पूरे ब्रह्मांड की प्रदक्षिणा कर के सबसे पहले वापस आएगा तब वह प्रथम पूज्य घोषित किया जाएगा यह सुनकर सभी देवी-देवता पूरे ब्रह्मांड की 3 बार प्रदक्षिणा करने चले गए जिससे पूरी सृष्टि असंतुलित होने लग गयी जिसको सही तरह से संचालित करने के कारण से रुक गए और जब उनसे शिव जी ने कहा कि तुम बहुत पीछे रह गए हो अतः अब बिना विलम्ब के इस प्रतियोगिता में भाग लो तब गणेश जी ने कहा कि समस्त ब्रह्मांड तो आप में ही निहित है सब कुछ आपसे ही उत्पन्न होकर आप में ही विलीन हो जाता है और माता पार्वती शक्ति रूप में आपका सहयोग करती है इतना कह कर उन्होंने शिव जी और पार्वती जी की 3 बार प्रदक्षिणा की और कहा कि मेरे लिए तो मेरे माता-पिता ही मेरा ब्रह्मांड है तब शिव जी के कहा कि जो सत्य को जाने, जिसमें किसी चीज का लालच न हो, जो मोह-माया से परे हो वही प्रथम पूज्य बनने योग्य है तथा त्रिदेवों की सहमति से गणेश जी प्रथम पूज्य कहलाए।
गणेश पूजन शुभ मुहर्त
21 अगस्त की रात्रि के 11 बजकर 2 मिनट पर चतुर्थी तिथि लगेगी व 22 अगस्त की शाम 7 बजकर 57 मिनट तक चतुर्थी रहेगी जिसमें 22 अगस्त की सुबह के 11 बजकर 05 मिनट 45 सेकंड से लेकर 13 बजकर 41 मिनट 32 सेकंड तक का समय बेहद शुभ रहेगा।