कुंडली मिलान के नियम, अष्टकूट मिलान व विभिन्न दोषों के परिहार
"भार्या त्रिवर्गकणां शुभशील युक्ता शीलं शुभम् भवति लगनवशेन तस्या:।"
"तस्माद्विवाहसमय: परिचिन्त्यते हि तान्नध्नतामुपगता: सुतशीलधर्मा:।।"
सृष्टि के आदिकाल से वसुंधरा पर अनेक महापुरुष ऋषि-महर्षि व विद्वान ज्योतिषाचार्यों व विज्ञान वेत्ताओं ने इस विषय पर गहन अध्यन चिंतन मनन कर के ग्रहादिकों के प्रभावादिका सही आकलन कर कुछ नियम निश्चित किए हैं यथा विद्याध्यन काल पूर्ण होने पर जब लड़के व लड़की की उम्र विवाह योग्य हो जाए तब माता-पिता को अपने कुल की परंपरानुसार लड़की के अनुरूप सुयोग्य वर को टीका (वाग्दान) करना चाहिए।