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लग्न कुंडली देखें या चंद्र कुंडली

लग्न कुंडली देखें या चंद्र कुंडली

  लग्न कुंडली सभी वर्गों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण कुंडली होती है किसी भी कुंडली को फलकथन करते समय लग्न को सर्वप्रथम देखा जाता है उसके बाद लग्नेश की स्थिति व अन्य भावों के स्वामी की स्थिति को देखकर फलकथन किया जाता है किंतु कुछ परिस्थितियों में चंद्र कुंडली, लग्न कुंडली से भी अधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होती है हम सभी जानते हैं कि चंद्रमा से गोचर का फलकथन किया जाता है, दशा की गढ़ना भी चंद्र से किया जाता है अतएव चंद्र कुंडली को भी सभी वर्ग कुंडली में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। अब प्रश्न यह उठता है कि फलकथन करते समय किस कुंडली को प्राथमिकता देनी चाहिए तो उसके लिए मैं बहुत ही सरल सा सूत्र बताने जा रहा हूँ यदि वह सूत्र लागू होता है तो उस परिस्थिति में चंद्र कुंडली को लग्न कुंडली से अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए।   कुंडली फलकथन विधि कुंडली फलकथन विधि  

सूत्र:-

  जब भी आप कुंडली देखें तो उसमें सर्वप्रथम आप लग्नेश की स्थिति को देखें कि वह किस अवस्था में बैठा है उसके बाद चंद्र राशीश अर्थात चंद्र जिस राशि में बैठा हो उस राशि के स्वामी की स्थिति को देखें और यह तुलना करें दोनों में कौन अधिक बली अवस्था में है यदि लग्नेश, चंद्र राशीश से अधिक बली है तो लग्न कुंडली को प्राथमिकता देनी चाहिए और ठीक इसी के विपरीत यदि चंद्र राशीश, लग्नेश से अधिक बली है तो हमें चंद्र कुंडली को प्राथमिकता देनी चाहिए।   चलिए इसको उदाहरण कुंडली से समझने का प्रयास करते हैं:-  

उदाहरण कुंडली:-

  उदाहरण कुंडली उदाहरण कुंडली   यह वृश्चिक लग्न की कुंडली है जिसका स्वामी मंगल है और इस कुंडली में लग्नेश मंगल नवम भाव में अपनी नीच राशि का स्थित है अब बात करते हैं चंद्र राशीश की तो इस कुंडली में चंद्रमा सिंह राशि पर स्थित है जिसका स्वामी सूर्य एकादश भाव में मित्र राशि का दो शुभ ग्रहों बुध व शुक्र के साथ युत है तो हम यहाँ कह सकते हैं कि सूर्य, लग्नेश मंगल से अधिक बली है इस अवस्था में हमें यहाँ चंद्र कुंडली को अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए।   अब यदि यहाँ पर फलकथन से समझा जाए तो यदि हम लग्न कुंडली से विचार करें तो लग्नेश मंगल नवम भाव में नीच राशि का स्थित है और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि नही है तो इस अवस्था में हम कह सकते हैं कि यह जातक/जातिका खुद के बाहुबल से उन्नति को प्राप्त करेगी इसे किसी का सहयोग नही प्राप्त होगा।   अब यदि चंद्र कुंडली से फलादेश करें तो हम कह सकते हैं कि चंद्र राशीश सूर्य धन/कुटुंब भाव में अपनी मित्र राशि का धनेश के साथ स्थित है अतः कुटुंब का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा व अच्छी उन्नति प्राप्त करेगी।   यह कुंडली एक लड़की की कुंडली है और इस जातिका के माता-पिता चिकित्सक हैं जिस कारण से यह जातिका जिस माहौल में रही उससे उसके मन में चिकित्सक बनने की इच्छा प्रवल हुई व घर-परिवार का पूर्ण सहयोग मिलने के कारण से यह जातिका चिकित्सक बनी व आज यह जातिका दिल्ली में एक सर्जन हैं।   जय श्री राम। Astrologer:- Pooshark Jetly Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope) Mobile:- 9919367470