लग्न कुंडली देखें या चंद्र कुंडली
कुंडली फलकथन विधि
उदाहरण कुंडली
यह वृश्चिक लग्न की कुंडली है जिसका स्वामी मंगल है और इस कुंडली में लग्नेश मंगल नवम भाव में अपनी नीच राशि का स्थित है अब बात करते हैं चंद्र राशीश की तो इस कुंडली में चंद्रमा सिंह राशि पर स्थित है जिसका स्वामी सूर्य एकादश भाव में मित्र राशि का दो शुभ ग्रहों बुध व शुक्र के साथ युत है तो हम यहाँ कह सकते हैं कि सूर्य, लग्नेश मंगल से अधिक बली है इस अवस्था में हमें यहाँ चंद्र कुंडली को अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए।
अब यदि यहाँ पर फलकथन से समझा जाए तो यदि हम लग्न कुंडली से विचार करें तो लग्नेश मंगल नवम भाव में नीच राशि का स्थित है और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि नही है तो इस अवस्था में हम कह सकते हैं कि यह जातक/जातिका खुद के बाहुबल से उन्नति को प्राप्त करेगी इसे किसी का सहयोग नही प्राप्त होगा।
अब यदि चंद्र कुंडली से फलादेश करें तो हम कह सकते हैं कि चंद्र राशीश सूर्य धन/कुटुंब भाव में अपनी मित्र राशि का धनेश के साथ स्थित है अतः कुटुंब का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा व अच्छी उन्नति प्राप्त करेगी।
यह कुंडली एक लड़की की कुंडली है और इस जातिका के माता-पिता चिकित्सक हैं जिस कारण से यह जातिका जिस माहौल में रही उससे उसके मन में चिकित्सक बनने की इच्छा प्रवल हुई व घर-परिवार का पूर्ण सहयोग मिलने के कारण से यह जातिका चिकित्सक बनी व आज यह जातिका दिल्ली में एक सर्जन हैं।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
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