मेष लग्न और उनके योग---Astrology Sutras
मेष लग्न कुंडली
मेष लग्न का स्वामी
मंगल होता है और यह काल पुरुष का लग्न होता है लग्न में
मेष राशि होने के कारण से ऐसे व्यक्ति क्रोधी स्वभाव के होते हैं व आक्रामक होते हैं ऐसे व्यक्ति की सहनशक्ति काफी कम होती है किंतु इनकी वाणी मधुरता लिए होती है क्योंकि दूसरे भाव में
शुक्र की राशि होती है तथा इन्हें स्वादिष्ट व्यंजनों का शौंक होता है इनके तीसरे भाव अर्थात पराक्रम भाव में
बुध की राशि होने के कारण से ऐसे व्यक्ति चतुराई ज्यादा दिखाते हैं और अपनी ही चतुराई में फँस कर रह जाते हैं क्योंकि
मंगल का सबसे बड़ा शत्रु
बुध होता है,
मेष लग्न के व्यक्तियों को माता से बहुत लगाव होता है।
मेष लग्न के व्यक्तियों की गोल आँखे होती है तथा इनके घुटने कुछ कमजोर होते हैं कहने का आशय यह है कि इनके घुटने में अकसर चोट लगने का भय या घुटनों में दर्द की समस्या बनी रहती है, यह उग्र प्रकृति अर्थात क्रोधी होते हैं और सामान्य गति से कुछ तेज चलते हैं इनको घूमने-फिरने का बहुत शौंक होता है किंतु पानी वाली जगहों से प्रायः दूरी बनाकर रखते हैं, इनमें कामुकता की अधिकता रहती है क्योंकि सप्तम भाव का स्वामी
शुक्र व अष्टम का स्वामी
मंगल होता है इन्हें भोजन स्वादिष्ट किंतु सीमित मात्रा में करना पसंद होता है, अधिकतर जगहों पर इन्हें मिथ्या संवाद करते हुए भी देखा जाता है
मेष लग्न के व्यक्ति अपने कार्य को पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी से करते हैं क्योंकि इनकी कुंडली में दशम भाव के स्वामी
शनि होते हैं तथा
मार्केटिंग, फाइनेंस, बैंकिंग के कार्य में अधिक सफल होते हैं।
मेष लग्न वालों के लिए
सूर्य व
मंगल शुभ होते हैं और
कृष्ण पक्ष व अमावस्या का
चंद्र इनके लिए बहुत शुभ होते हैं
बुध,
शनि व
शुक्र इनके लिए अशुभ होते हैं क्योंकि
मंगल की इन तीनों ग्रहों से नैसर्गिक शत्रुता होती है साथ ही
बुध शत्रु भाव,
शुक्र मारक भाव के स्वामी होते हैं और
मेष लग्न के
चर लग्न होने के कारण से
शनि इस कुंडली में बाधकेश होते हैं,
मेष लग्न वालों के लिए
गुरु नवम भाव के स्वामी होने के कारण से शुभ व द्वादश भाव के स्वामी होने के कारण से अशुभ अर्थात मिश्रित फल प्रदान करते हैं,
मेष लग्न वालों के लिए
सूर्य-चंद्र व
सूर्य-मंगल की युति या प्रतियुति बेहद शुभ होती है तथा
सूर्य-शनि,
मंगल-गुरु और
चंद्र-गुरु की युति या प्रतियुति मध्यम फल प्रदान करने वाली होती है व
गुरु-शनि और
गुरु-शुक्र की युति या प्रतियुति बेहद अशुभ फलदाई होती है।
विशेष:-
मेष लग्न वालों के लिए मूँगा, माणिक, मोती, पोखराज शुभ रत्न होने हैं और इनके लिए नीलम, पन्ना व हीरा उन्नति में बाधक होते हैं।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
Mobile:- 9919367470