पोखराज धारण विधि व लग्न अनुसार उपयोगिता
"वर्णास्ताम्रसिताती रक्त हरितव्यापीत चित्रा सीता"
"बहवयम्बवग्निज केशवेंद्र शाचिका: सूर्यादिनाथा: क्रमात्""
अर्थात:- लाल, श्वेत, रक्त वर्ण, हरा, पीलापन लिए हुए तरह-तरह के रंग और काला ये सूर्य से क्रमानुसार शनि तक के रंग हैं, आचार्य वरामिहिर जी के इस श्लोक से यह स्पष्ट है कि बृहस्पति का रंग "पीला" है अतः बृहस्पति का रत्न "पीला पोखराज" है।