परिवार से सम्मान मिलेगा या अपमान--Astrology Sutras
परिवार से सम्मान मिलेगा या अपमान
भाग:-१
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार कुंडली का चतुर्थ भाव व्यक्ति की मानसिक स्थिति, सोच व पारिवारिक सुख को दर्शाता है और यदि चतुर्थेश पीड़ित होकर सप्तम भाव को देखता है तो माता के कारण से दाम्पत्य जीवन में कलहपूर्ण स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं ग्रंथकारों का मत है कि:-
बंधुद्वेषी भवेन्नित्यं पापाक्रांते ग्रहे यदा।
नीचास्तखेतसंयुक्ते शुभदृग्योगवर्जिते।।
अर्थात:- यदि चतुर्थेश पाप ग्रहों से पीड़ित हो या नीच राशि का हो या शत्रु राशि का हो या अस्त ग्रहों से युत हो और शुभ ग्रहों से दृष्ट या युत न हो तो व्यक्ति अपने जाति से द्वेष करता है।
चलिए इसको एक उदाहरण कुंडली से समझने का प्रयास करते हैं:-
उदाहरण कुंडली:-१
इस कुंडली में उपरोक्त श्लोक के अनुसार चतुर्थेश सूर्य षष्ठ भाव में अपनी नीच राशि तुला में राहु व लग्नेश शुक्र से युत है यद्यपि यहाँ सूर्य का नीचभंग हो रहा है फिर भी सूर्य के अपने नीच राशि में स्थित होने के कारण से व मनोस्थिति के ग्रह सूर्य का षष्ठ भाव में जाना यह दर्शाता है कि व्यक्ति में द्वेष भावना अत्यधिक बली रहेगी और व्यक्ति प्रायः परेशान रहेंगे और इन्हें परिवार वालों के साथ तालमेल बैठाने में दिक्कतें आएंगी साथ ही लग्नेश का भी षष्ठ भाव में जाना भी इसी चीज को और बली करता है जिस कारण से व्यक्ति का स्वभाव भी लोगों से द्वेष करने वाला रहेगा और राहु से इन दोनों ग्रह (सूर्य व शुक्र) की युति होने के कारण से भ्रामक स्थितियों के कारण से व्यक्ति अपने परिवार से द्वेष करेगा और चिंतित रहेगा, अब यदि यहाँ बात इनके दाम्पत्य जीवन की करी जाए तो सप्तमेश मंगल सप्तम भाव में स्वराशि का चंद्र व गुरु से युत और शनि से दृष्ट है अतः इनके दामपत्य जीवन में भी कलहपूर्ण स्थितियाँ उत्पन्न होंगी किंतु विवाह नही टूटेगा और जन्म स्थान से दूर जाकर व्यक्ति को बड़ी भारी सफलता प्राप्त होगी।
इसके अतिरिक्त अन्य ग्रंथकार का मत है कि:-
बहुपापसमायुक्ते बन्धौ नाथे तथैव हि।
तत्कारके तथैवात्र बंधूनां कुत्सितं वदेत्।
अर्थात:- यदि चतुर्थ भाव में बहुत से पाप ग्रह बैठे हों तथा चतुर्थेश और चतुर्थ का कारक भी पापयुक्त या पाप ग्रहों द्वारा दृष्ट हो तो इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने बंधुओं से सम्मानित नही होता; वह नीच, तुच्छ तथा कुत्सित समझा जाता है।
चलिए इसको भी एक उदाहरण कुंडली से समझने का प्रयास करते हैं:-
उदाहरण कुंडली:-२
इस कुंडली में उपरोक्त श्लोक के अनुसार चतुर्थ भाव में दो पाप ग्रह सूर्य व शनि स्थित हैं जिनमें सूर्य अपनी नीच राशि और शनि अपनी उच्च राशि का है और चतुर्थेश तृतीय भाव में अपनी नीच राशि का स्थित है साथ ही चतुर्थ भाव का कारक ग्रह चंद्रमा अष्टम भाव में स्थित है जिस कारण से यह व्यक्ति अपने परिवार में अत्यंत दुखी व परिवार वालों द्वारा प्रताड़ित किए जाते थे यहाँ तक कि इनके परिवार वालों ने इन पर कई मुकदमें भी कर रखे थे जब यह व्यक्ति मेरे पास आए तो मैंने इनको एक ही सलाह दी कि आप मातृस्थान व पितृस्थान से जितने अधिक दूर रहेंगे उतनी अच्छी उन्नति करेंगे व सुखमय जीवन को व्यतीत करेंगे जिसके बाद यह व्यक्ति घर वालों से छुपकर विदेश गए और वहाँ उनको बड़ी सफलता मिली तथा आज सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं कुल मिलाकर यदि चतुर्थेश व चतुर्थ भाव और चतुर्थ भाव का कारक पीड़ित हो तो ऐसे व्यक्ति जब तक अपने परिवार वालों के साथ रहते हैं तब तक संघर्ष व अपमानजनक स्थितियों का सामना करते रहते हैं और इनको सुख न्यून के समान ही मिलता है।
यह तो बात थी कि कब परिवार वालों से अपमान मिलता है ठीक इसी प्रकार ग्रंथकारों ने कुछ ऐसे भी योग बताए हैं जिनमें परिवार से व्यक्ति को सम्मान की प्राप्ति होती है तथा व्यक्ति परिवार में भाग्यशाली समझा जाता है जिसे मैं अगले भाग में प्रकाशित करूँगा....
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
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