सप्तम भाव में स्थित शनि का फल भाग: १
विवाह भाव में विरक्ति कारक शनि
सप्तम भाव से हम विवाह, जीवनसाथी, मित्र, साझेदारी, नौकरी का विचार करते हैं जहाँ बैठा हुआ विरक्ति का कारक शनि इन सभी को प्रभावित करता है, सप्तम भाव में शनि को दिग्बल भी प्राप्त होता है अतः सप्तम भाव में स्थित शनि दामपत्य जीवन के लिए बहुत शुभ नही कहा गया है ऐसे व्यक्तियों के दामपत्य जीवन में उतार-चढ़ाव बना रहता है, ऐसे व्यक्ति अपने जीवनसाथी के प्रति जिम्मेदारियों को तो भली भांति समझते हैं किंतु शनि विरक्ति का कारक होने के कारण से किस प्रकार प्रेम किया जाए या किस कारण से प्रेम का इजहार किया जाए उनके लिए समझ पाना थोड़ा मुश्किल होता है ऐसे व्यक्ति जीवनसाथी की खुशी को अपना कर्तव्य समझकर उनकी खुशी के लिए सब करते तो हैं किंतु इनमें आंतरिक इच्छा की कमी रहती है सप्तम भाव में स्थित शनि व्यक्ति को मेहनती बनाता है तथा ऐसे व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं जिस कारण से भी इनके दामपत्य जीवन में वो रस नही रहता जो कि सामान्यतः होना चाहिए, शनि मंद गति से चलने वाला ग्रह है जिस कारण से सप्तम भाव में स्थित शनि विवाह में देरी कराता है किंतु यदि दूसरे ग्रहों का सप्तम भाव से अच्छा संबंध बन रहा हो तो विवाह जल्दी होता है, मेरे अनुभव के अनुसार सप्तम भाव में स्थित शनि तलाक नही होने देता किंतु यदि अन्य ग्रहों से तलाक होने के योग बनते हैं तो बहुत मुश्किल से तलाक हो पाता है, सप्तम भाव में स्थित शनि सीमित संख्या में मित्रों का होना भी दर्शाता है कहने का आशय यह है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों के मित्र कम होते हैं अर्थात सीमित होते हैं, ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी गंभीर स्वभाव के होते हैं तथा अपनी जिम्मेदारियों को निभाना जानते हैं और उन्हें रिश्तों को संजो कर रखना भी आता है।
सप्तम भाव में स्थित शनि का फल
सप्तम भाव में स्थित शनि तीसरी दृष्टि से नवम भाव में रहेगी जो कि यह दर्शाता है कि ऐसे व्यक्तियों की धर्म-आध्यात्म में अच्छी रुचि रहती है साथ ही ऐसे व्यक्ति जीवन की शुरुवात में कुछ संघर्ष करते हुए जीवन के उत्तरार्ध में अच्छा जीवन जीते हैं कहने का आशय यह है कि ऐसे व्यक्तियों को भाग्योदय हेतु कड़ा संघर्ष करना पड़ता है, शनि की सप्तम दृष्टि लग्न पर पड़ेगी जो कि यह दर्शाता है कि ऐसे व्यक्ति अधिकतर अकेले रहना पसंद करते हैं व कम बोलते हैं साथ ही ऐसे व्यक्ति भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचते हैं तथा इनके मित्र भी सीमित संख्या में होते हैं साथ ही ऐसे व्यक्ति कर्म को भाग्य से अधिक तवज्जो देते हैं, शनि की दशम दृष्टि चतुर्थ भाव पर पड़ेगी जो कि यह दर्शाता है कि ऐसे व्यक्ति घर से बाहर रहना अधिक पसंद करते हैं तथा इनका अधिकतर समय कार्यस्थल पर ही बीतता है ऐसे व्यक्तियों के घर के वातावरण में गर्म माहौल रहता है।
इसका दूसरा भाग जल्द ही प्रकाशित करूँगा जिसमें शनि के विभिन्न स्थितियों में सप्तम भाव पर स्थित होने के फल बतायूँगा।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
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