सूर्य: एक परिचय व सूर्य जनित रोग
सूर्य एक परिचय
वराहमिहिर जी ने सूर्य को शहद के समान लाल रंग का बताया है क्योंकि जब कड़ी धूप में सूर्य को देखो तो ऐसा ही प्रतीत होता है और यदि सूक्ष्म दृष्टि से धूप को देखें तो यह कुछ पीले लाल रंग का दिखाई देता है अतएव जिन व्यक्तियों का सूर्य प्रधान होता है कहने का आशय यह है कि सूर्य प्रधान व्यक्ति की दृष्टि बहुत तेज होती है व आंखों के कोने में लाल-लाल रेखाएं अधिक होती है और उनका शरीर चौकोर होता है, सूर्य रूखा और उष्ण है अतः ऐसे व्यक्तियों को पित्त प्रकृति होना स्वभाविक है साथ ही सूर्य प्रधान व्यक्ति के शरीर पर केश/बाल बहुत कम होते हैं, यदि सूर्य स्त्री राशि में हो तो केश नही होते परंतु यदि सूर्य पुरुष राशि में हो तो केश होते हैं।
सूर्य तो पूर्ण ब्रह्म है अतः इसका निवास स्थान मंदिर व देवगृह ही होता है इसका धातु तांबा होता है तथा यह ग्रीष्म ऋतु का स्वामी होता है, यह अग्नि के देवता और पूर्व दिशा के स्वामी होते हैं साथ ही सूर्य क्षत्रिय वर्ण और पुरुष ग्रह हैं इनका तत्व तेज होता है और यह सत्वगुणी होते हैं।
मंत्रेश्वर महाराज जी के अनुसार सूर्य पित्त प्रधान है और यह अस्थियों से बलवान है इसकी भुजाएं लंबी-मोटी हैं तथा इसका देह चौकोर होता है तथा इसके वस्त्र लाल होते हैं।
सूर्य की बली अवस्थाएं
सूर्य अपनी उच्च राशि मेष, स्वराशि सिंह, अपने वार अर्थात रविवार को दिन के मध्यभाग अर्थात दोपहर में, राशि में प्रवेश करते समय अर्थात एक राशि से दूसरी राशि में जाते समय, मित्र ग्रहों के अंशों में, जब सूर्य उत्तरायण हो और कुंडली के दशम भाव में बलवान होता है।
विशेष:-
कुछ विद्वानों के अनुसार सूर्य दक्षिणायन में भी बली होते हैं।