सूर्य ग्रहण का कोरोना पर प्रभाव29 अक्टूबर 2019 को गुरु ने गोचर बदलकर वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश किया था तथा शनि व केतु से गुरु की की युति हुई थी जिन पर राहु की पूर्ण दृष्टि थी यह गोचर अनेक प्रकार की विपदाओं व संकटों का संकेतक था उसके ठीक 2 माह बाद सूर्य व बुध भी धनु राशि में प्रविष्ट हुए थे तब कोरोना जैसी महामारी सामने आई थी उसके ठीक 1 माह बाद सूर्य गोचर बदलकर मकर राशि में प्रविष्ट हुए थे जिस कारण से परिस्थितियाँ कुछ नियंत्रण में थी लेकिन 24 जनवरी 2020 को शनि के मकर राशि में प्रविष्ट होते ही कोरोना का प्रकोप बड़ने लगा और 5 मई को शनि, 11 मई को शुक्र,14 मई को गुरु व 18 जून को बुध के वक्री होते ही कोरोना अपने चरम पर पहुँचने लगा तथा 5 जून को चंद्र ग्रहण (उपछाया ग्रहण), 21 जून को सूर्य ग्रहण व 5 जुलाई को पुनः चंद्र ग्रहण (उपछाया ग्रहण) लगने से गोचर में ग्रह एक लगातार पीड़ित होने लग गए।वर्तमान के गोचर का अध्यन किया जाए तो गोचर में सभी ग्रह दो सबसे क्रूर ग्रहों राहु व केतु के मध्य होने से पीड़ित चल रहे हैं तथा 21 जून 2020 को सिंह लग्न, मिथुन राशि व मृगशिरा नक्षत्र में लगने वाला यह सूर्य ग्रहण अशुभ होने से कोरोना के और तेजी के साथ बड़ने का संकेतक है, यह ग्रहण जिस समय लगेगा उस समय गोचर में सिंह लग्न होगा जिसके एकादश भाव में राहु, सूर्य, चंद्र व बुध की युति होगी तथा राहु, सूर्य व चंद्र मृगशिरा नक्षत्र के चतुर्थ चरण में और बुध पुनर्वसु नक्षत्र के प्रथम चरण में होंगे यदि नवतारा चक्र का अध्यन करें तो मृगशिरा से पुनर्वसु "विपत्त" तारा के अंतर्गत आता है अतः बुध पर भी इस ग्रहण का प्रभाव पड़ेगा अर्थात गोचर में सूर्य, बुध, चंद्र तीनों ग्रह राहु से पीड़ित रहेंगे तथा बुध वक्री अवस्था से गोचर करेंगे और अन्य ग्रहों में शुक्र, शनि व गुरु भी वक्री अवस्था से ही गोचर करेंगे जो कि शुभ स्थिति को नही दर्शाता है।सूर्य ग्रहण का भारत पर प्रभावज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी गोचर में ऐसी युति होती है तो वह देश, राजा, सेना व प्रजा के लिए शुभ नही होती अतः इस समय के गोचर के अनुसार अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं, आतंकवादी घटनाएं, घटने के साथ-साथ नेता-राजनेता व अभिनेता की मृत्यु और सेमनावर्ती देशों से युद्ध व रोगों का प्रचंड वेग से आगे बड़ने की संभावना है, इस ग्रहण का प्रभाव 3 माह व 10 से 12 दिन तक रहेगा अतः यह 3 माह व 12 दिन के मध्य भारत में कोरोना प्रचंड वेग से अपने चरम पर पहुँचेगा तथा भारत को अनेक प्रकार की विपदाओं व आपदाओं का सामना करना पड़ेगा तथा इसी समय में "तीसरे विश्व युद्ध" के आरंभ होने की भी संभावना बनेगी, 3 सितंबर 2020 को राहु व केतु गोचर बदलकर क्रमशः वृषभ (राहु) व वृश्चिक (केतु) में प्रवेश करेंगे तदोपरांत कोरोना से कुछ राहत मिलना आरंभ होगा तथा नवंबर के अंतिम भाग में बड़ी राहत अनुभव होगी और जनवरी में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही कोरोना महामारी का पूर्णरूपेण अंत हो चुका होगा।
विशेष:-
शास्त्रों के अनुसार ग्रहण का प्रभाव ग्रहण लगने के 15 दिन पूर्व से दिखने लगता है पिछले कुछ दिनों में आए भूकंप, तूफान, कोरोना के मरीजों में वृद्धि, चीन से युद्ध का आरंभ यह सभी ग्रहण के अशुभ फल का संकेतक है।आगे जैसी प्रभु इच्छा।जय श्री राम।Astrologer:- Pooshark JetlyAstrology Sutras (Astro Walk Of Hope)Mobile:- 9919367470