संतान भाव में नपुंसक ग्रह शनि भाग १
पंचम भाव में स्थित शनि का फल
जन्म कुंडली के
पंचम भाव से हम
बुद्धि, विद्या, संतान, उदर, बौद्धिक क्षमता, पिछले जन्म का विचार करते हैं अतः इन भावों में स्थित
शनि का स्थित होना इन सभी को प्रभावित करता है मेरे अनुभव में यह भी आया है कि यदि
शनि पंचम भाव में अकेला बैठा हो तो ऐसे व्यक्तियों को उदर अर्थात पेट से जुड़ी कोई न कोई समस्या अवश्य रहती है अतः इन लोगों को तामसिक चीजों से परहेज करने की सलाह दी जाती है, बहुत से ग्रंथकारों का मत है कि
पंचम भाव में
शनि स्थित हो तो वह शिक्षा में किसी न किसी प्रकार के व्यवधान को भी दर्शाता है किंतु विभिन्न राशियों या विभिन्न स्थितियों में
शनि के
पंचम भाव में स्थित होने पर इसके फल विभिन्न होते हैं मेरे अनुभव में आया है कि यदि
शनि पंचम भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों की जटिल कार्यों को करने में अच्छी रुचि होती है मतलब ऐसे व्यक्ति उस काम को करना अधिक पसंद करते हैं जिसमें शारीरिक की जगह मानसिक मेहनत अधिक हो अर्थात ऐसे सभी कार्य जो तकनीकी क्षेत्र से जुड़े हुए होते हैं, यदि वायु तत्व राशि जैसे मिथुन, तुला व कुंभ राशि का
शनि पंचम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति पढ़ाई में बहुत अच्छे होते हैं,
पंचम भाव में स्थित
शनि संतान संबंधित परेशानियों का सूचक होता है ऐसे व्यक्तियों को संतान कुछ विलंब से होती है।
पंचम भाव में बैठे
शनि की तीसरी दृष्टि
सप्तम भाव में होती है
सप्तम भाव विवाह, जीवनसाथी, रोमांस, मित्रता, नौकरी, पार्टनरशिप का भाव होता है जहाँ
शनि की दृष्टि इन सभी को प्रभावित करती है ऐसे व्यक्तियों का विवाह कुछ विलंब से होता है या शीघ्र विवाह होने की स्थिति में दामपत्य जीवन में आपसी ताल-मेल बैठाने में परेशानियाँ आती है, ऐसे व्यक्तियों के मित्र सीमित संख्या में होते है साथ ही ऐसे व्यक्तियों के दामपत्य जीवन में रोमांस कम व गंभीरता अधिक देखी जाती है, ऐसे व्यक्तियों को जीवन के शुरुवात व
36-37 वर्ष की आयु में कड़ा संघर्ष करना पड़ता है व जीवन के उत्तरार्ध में बड़ी सफलता प्राप्त होती है,
पंचम भाव में स्थित
शनि की सप्तम दृष्टि एकादश भाव व दसवीं दृष्टि दूसरे भाव में पड़ती है अर्थात धन से जुड़े दोनों भाव
शनि के प्रभाव में रहते हैं अतः ऐसे व्यक्तियों की आर्थिक उन्नति मंद गति अर्थात धीरे-धीरे होती है व ऐसे व्यक्ति यदि
शनि से जुड़े कार्य जैसे
लोहे, चमड़े, भूमिगत से जुड़े कार्य या हथियार, वाहन से जुड़े कार्य में अधिक सफल होते हैं, मेरे अनुभव में यह भी आया है कि
पंचम भाव में बैठा
शनि संकुचित मात्रा अर्थात टुकड़ों में धन देता है कहने का आशय यह है कि कभी इनके पास काफी पैसा आ जाता है तो कभी एकदम सूना सा पड़ जाता है अर्थात
पंचम भाव का
शनि धन संचय में समस्याएं देता है साथ ही
पंचम भाव से हम बुद्धि व दूसरे भाव से वाणी का विचार करते है
पंचम भाव में बैठा
शनि इन दोनों ही भावों को प्रवाभित करता है अर्थात ऐसे व्यक्तियों की वाणी थोड़ी कटु होती है क्योंकि
शनि एक रूखा ग्रह है जिस कारण से आपके द्वारा बोली गयी बात नकारात्मकता लिए हुए होती है और उसको कहने का तरीका थोड़ा रूखा होता है।
अब बात करते हैं विभिन्न स्थितियों में शनि के पंचम भाव में बैठने का क्या फल होता है.....
पोस्ट की लंबाई को ध्यान में रखते हुए इसका दूसरा भाग जल्द ही लिखूँगा।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
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