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14 मई 2021 शुक्रवार "भृगुवासरे" का पंचांग "ऋषिकेश पंचांग (काशी) अनुसार" जानिए, आज के विशेष योग व वास्तु शास्त्र से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ

14 मई 2021 शुक्रवार "भृगुवासरे" का पंचांग "ऋषिकेश पंचांग (काशी) अनुसार" जानिए, आज के विशेष योग व वास्तु शास्त्र से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ

  आज का पंचांग आज का पंचांग  

दिनांक:- 14 मई 2021 वार:- शुक्रवार (भृगुवासरे) तिथि:- तृतीया रात्रि ५:०८ तक तदोपरांत चतुर्थी (अक्षय तृतीया) पक्ष:- शुक्ल पक्ष माह:- वैशाख गोल:- उत्तर नक्षत्र:- मृगशिरा संपूर्ण दिन-रात्रि योग:- सुकर्मा रात्रि ११:५९ तक तदोपरांत धृति करण:- तैतिल उपरांत गर सूर्य:-मेष रात्रि ०३:०२ तक तदोपरांत वृषभ औदयिक सूर्य स्पष्ट:-२९°०७'५८" चंद्रमा:-वृषभ राशि सायं ०५:१२ तक तदोपरांत मिथुन मंगल:- मिथुन बुध:- वृषभ गुरु:- कुंभ शुक्र:- वृषभ शनि:- मकर राहु:- वृषभ केतु:- वृश्चिक अयन:- उत्तरायण सूर्योदय:- ०५:२४ (काशी) सूर्योदय:- ०५:३५ (दिल्ली) सूर्यास्त:- ०६:३६ (काशी) सूर्यास्त:- ०६:५९ (दिल्ली) दिनमान:- ३३:०२ (काशी) दिशा शूल:- पश्चिम निवारण उपाय:- जौं का सेवन ऋतु:- वसंत ऋतु गुलिक काल:- ०७:३० से ०९:०० राहु काल:- १०:३० से १२:०० अभिजीत मुहर्त:- १२:०३ से १२:५१ विक्रम संवत:- २०७८ संवत्सर नाम:- आनंद शक संवत:- १९४३ युगाब्ध:- ५१२३

सूर्योदयकालीन दैनिक स्पष्टभौमादिग्रह

मंगल:- १७°२३'३१" बुध:- १८°४९'२१" गुरु:- ०७°०८'५०" शुक्र:- १२°४८'३०" शनि:- १५°२१'५३" राहु:- १७°३२'२७" केतु:- १७°३२'२७"

चौघड़िया दिन

चंचल:- ०५:४४ से ०७:२५ लाभ:- ०७:२५ से ०९:०६ अमृत:- ०९:०६ से १०:४७ शुभ:- १२:२८ से १४:०९ चंचल:- १७:३१ से १९:११

चौघड़िया रात

लाभ:- २१:४९ से २३:०८ शुभ:- ००:२७ से ०१:४६ अमृत:- ०१:४६ से ०३:०५ चंचल:- ०३:०५ से ०४:२४

आज के विशेष योग

वर्ष का ३२ वाँ दिन, मिथुन राशि के चंद्र सायं ०५:१३ से, वृषभ के सूर्य रात्रि ०३:०३ से, श्री परशुराम जन्मोत्सव, अक्षय तृतीया, सत्तू-चीनी-जल-कलश-कुष्मांड में रत्न भरकर दान, चंदन से श्री विष्णु पूजा, श्री बदरी केदार यात्रा, काशी में त्रिलोचन यात्रा, सूर्य की वृषभ सक्रांति से ६ घंटे व २४ मिनट तक पुण्यकाल, आखा तीज (स्वम् सिद्ध अबूझ मुहर्त), त्रेतायुगादि, कल्पादि, श्री मातंगी जयंती, वर्षीतप समाप्त (जैन), मे. डूंगरी जातर मनाली शुरू (हिमांचल प्रदेश में), सव्वाल मु. मास १० प्रारंभ, श्री श्री १००८ संत शिरोमणि मोहनदास जी महाराज जयंती (सालासर बाला जी मंदिर में), श्री बसवेश्वर जयंती।

वास्तु टिप्स

मुख्य द्वार पर दहलीज हो किन्तु घर के अन्य सभी दरवाजों का धरातल एक समान होना चाहिए।