भृगु सूत्र आधारित सूर्य का चतुर्थ भाव में फल
चतुर्थ भाव में सूर्य का फल
अनेक ग्रंथों में सूर्यादि सभी ग्रहों के विभिन्न स्थानों में फल बताएं गए हैं पिछले लेख में मैंने भृगु सूत्र आधारित सूर्य के प्रथम भाव, द्वितीय भाव व तृतीय भाव में फल को बताया था अतः उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए सूर्य के चतुर्थ भाव में फल को लिख रहा हूँ:-
भृगु सूत्र आधारित प्रथम भाव में सूर्य के फल को पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं👇🏻
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१. यदि कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य सामान्य स्थिति में बैठा हो तो व्यक्ति अहंकारी, समाज हित के विपरीत आचरण करने वाला, गर्म शरीर वाला तथा मानसिक पीड़ा से युक्त होता है और उसे ३२वें वर्ष की आयु में सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
२. यदि चतुर्थ भाव में सूर्य अपनी उच्च राशि (मेष) या स्वराशि (सिंह) का होकर स्थित हो तो व्यक्ति को बहुत मान-प्रतिष्ठा, सफलता, सत्ता प्राप्ति व पद प्राप्ति आदि होती है तथा ऐसा व्यक्ति ज्ञानवान व वीर होता है।
भृगु सूत्र आधारित द्वितीय भाव में सूर्य के फल को पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं👇🏻
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३. यदि चतुर्थ भाव में सूर्य अपनी नीच राशि (तुला) का होकर स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति धन, धान्य आदि की समृद्धि से रहित होता है।
चतुर्थ भाव में सूर्य
४. यदि चतुर्थ भाव में सूर्य स्थित हो और/सुखेश बलवान होकर स्वराशि, त्रिकोण अथवा केंद्र में बैठा हो तो व्यक्ति को आन्दोलिका (उत्तम वाहन) की प्राप्ति होती है जो कि लक्षणान्वित (लाल बत्ती आदि चिन्हों से युक्त) होती है।
५. यदि कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य स्थित हो और चतुर्थेश/सुखेश पाप ग्रहों से युक्त अथवा दृष्ट होकर दुष्ट स्थान में बैठा हो तो व्यक्ति को दुर्वाहन (बुरे वाहन आदि) प्राप्त होते हैं तथा ऐसा व्यक्ति खेत, भूखण्ड एवं भवन आदि से हीन होता है और वह किसी दूसरे द्वारा दिए गए आवास में पराश्रित होकर रहता है।
भृगु सूत्र आधारित तृतीय भाव में सूर्य के फल को पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं👇🏻
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जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
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